बाल प्रतिभा का प्रस्फुटन: किट्टी की साड़ी
-कमलेश भट्ट कमल
जिस उम्र में बच्चे अपना खाली समय खेलकूद, मौजमस्ती करते हुए तथा कहानियाँ और कॉमिक्स पढ़ते हुये गुजारते हैं, उस उम्र में यदि कोई बच्चा स्वयं ही कलम थाम कर सृजन करने में लग जाय तो इसे जन्मजात प्रतिभा का प्रस्फुटन ही कहा जायेगा। केन्द्रीय विद्यालय होशंगाबाद की कक्षा 8 की छात्रा कु० ईप्सा एक ऐसी ही बाल प्रतिभा का नाम है जिसने मात्र तेरह वर्ष की अवस्था में ‘‘किट्टी की साड़ी’’ नामक कहानी संग्रह के साथ प्रकाशन जगत में प्रवेश किया है। आठ- बाल कहानियों वाले इस संग्रह का प्रकाशन सारंग प्रकाशन बाला जी पुरम, मथुरा द्वारा कुछ समय पूर्व ही किया गया है।
‘किट्टी की साड़ी’ संग्रह में शीर्षक कहानी के अलावा तुलसी मंदिर का रहस्य, सच्ची कहानी, बुआ के तीन मित्र, चोरी पकड़ी गई, टिंकू ने कहना माना, माँ की सेवा का फल, कोशिश का फल- ये सात कहानियाँ शामिल हैं।
पशु-पक्षियों का संसार बच्चों के लिये अत्यंत आकर्षक और कौतूहल भरा होता है। कहना न होगा कि ‘किट्टी की साड़ी’ की आठ में से यानी चार कहानियाँ पशु-पक्षियों को केन्द्र में रखकर अथवा उन्हें प्रतीक बनाकर लिखी गईं है। इस तरह की कहानियों में यथार्थ और कल्पना की जो बुनावट होती है वह मन को गहरे तक छूती है। इनमें ‘किट्टी की साड़ी’ जहाँ मनोरंजन प्रधान कहानी है वहीं ‘बुआ के तीन मित्र’ में मनुष्य और मनुष्येतर जीव-जगत के बीच सहज परिस्थितियों में उपजी आत्मीय संवेदना का चित्र है जो मन को छू जाता है।
चारो यथार्थवादी कहानियों में ‘तुलसी मंदिर का रहस्य’ एक अंध विश्वास के विरुद्ध वैज्ञानिक तर्कशीलता की विजय की कहानी है और संग्रह की महत्वपूर्ण कहानियों में से है। ‘माँ की सेवा का फल’, ‘सच्ची कहानी’ व ‘चोरी पकड़ी गई’ सहज सिथतियों से उपजी कहानियाँ हैं। संग्रह की सबसे प्रमुख विशेषता है कि सभी कहानियों से बच्चों को सीख मिलती है। भाषा पर ईप्सा का अपना अधिकार व नियंत्रण है। वह जो कहना चाहती है उसे उसी रूप में कह ले जाती है। जितेन साहू का चित्रांकन पुस्तक को आकर्षण प्रदान करता है।
ईप्सा के इस प्रथम प्रयास को देखते हुये प्राक्कथन लेखक दिनेश पाठक ‘शशि’ के इस विश्वास को सहज ही उद्धृत करने का मन होता है- ”यह बाल कहानी संग्रह ईप्सा की उच्च साहित्यिक सफलता का प्रथम सोपान बनेगा।“
बहुरंगी मुखपृष्ठ वाली 32 पृष्ठों की यह पुस्तक पाठकों को 25 रुपए में उपलब्ध हो सकेगी।
समीक्षक-
-कमलेश भट्ट कमल
”किट्टी की साड़ी“ (बाल कहानी संग्रह)
कहानीकार- ईप्सा यादव
प्रकाशक- सारंग प्रकाशन, बालाजी पुरम,
रिफाइनरी नगर, मथुरा-उ0प्र0
मूल्य- 25 रुपए
संस्करण- प्रथम, 2001
-कमलेश भट्ट कमल
जिस उम्र में बच्चे अपना खाली समय खेलकूद, मौजमस्ती करते हुए तथा कहानियाँ और कॉमिक्स पढ़ते हुये गुजारते हैं, उस उम्र में यदि कोई बच्चा स्वयं ही कलम थाम कर सृजन करने में लग जाय तो इसे जन्मजात प्रतिभा का प्रस्फुटन ही कहा जायेगा। केन्द्रीय विद्यालय होशंगाबाद की कक्षा 8 की छात्रा कु० ईप्सा एक ऐसी ही बाल प्रतिभा का नाम है जिसने मात्र तेरह वर्ष की अवस्था में ‘‘किट्टी की साड़ी’’ नामक कहानी संग्रह के साथ प्रकाशन जगत में प्रवेश किया है। आठ- बाल कहानियों वाले इस संग्रह का प्रकाशन सारंग प्रकाशन बाला जी पुरम, मथुरा द्वारा कुछ समय पूर्व ही किया गया है।
‘किट्टी की साड़ी’ संग्रह में शीर्षक कहानी के अलावा तुलसी मंदिर का रहस्य, सच्ची कहानी, बुआ के तीन मित्र, चोरी पकड़ी गई, टिंकू ने कहना माना, माँ की सेवा का फल, कोशिश का फल- ये सात कहानियाँ शामिल हैं।
पशु-पक्षियों का संसार बच्चों के लिये अत्यंत आकर्षक और कौतूहल भरा होता है। कहना न होगा कि ‘किट्टी की साड़ी’ की आठ में से यानी चार कहानियाँ पशु-पक्षियों को केन्द्र में रखकर अथवा उन्हें प्रतीक बनाकर लिखी गईं है। इस तरह की कहानियों में यथार्थ और कल्पना की जो बुनावट होती है वह मन को गहरे तक छूती है। इनमें ‘किट्टी की साड़ी’ जहाँ मनोरंजन प्रधान कहानी है वहीं ‘बुआ के तीन मित्र’ में मनुष्य और मनुष्येतर जीव-जगत के बीच सहज परिस्थितियों में उपजी आत्मीय संवेदना का चित्र है जो मन को छू जाता है।
चारो यथार्थवादी कहानियों में ‘तुलसी मंदिर का रहस्य’ एक अंध विश्वास के विरुद्ध वैज्ञानिक तर्कशीलता की विजय की कहानी है और संग्रह की महत्वपूर्ण कहानियों में से है। ‘माँ की सेवा का फल’, ‘सच्ची कहानी’ व ‘चोरी पकड़ी गई’ सहज सिथतियों से उपजी कहानियाँ हैं। संग्रह की सबसे प्रमुख विशेषता है कि सभी कहानियों से बच्चों को सीख मिलती है। भाषा पर ईप्सा का अपना अधिकार व नियंत्रण है। वह जो कहना चाहती है उसे उसी रूप में कह ले जाती है। जितेन साहू का चित्रांकन पुस्तक को आकर्षण प्रदान करता है।
ईप्सा के इस प्रथम प्रयास को देखते हुये प्राक्कथन लेखक दिनेश पाठक ‘शशि’ के इस विश्वास को सहज ही उद्धृत करने का मन होता है- ”यह बाल कहानी संग्रह ईप्सा की उच्च साहित्यिक सफलता का प्रथम सोपान बनेगा।“
बहुरंगी मुखपृष्ठ वाली 32 पृष्ठों की यह पुस्तक पाठकों को 25 रुपए में उपलब्ध हो सकेगी।
समीक्षक-
-कमलेश भट्ट कमल
”किट्टी की साड़ी“ (बाल कहानी संग्रह)
कहानीकार- ईप्सा यादव
प्रकाशक- सारंग प्रकाशन, बालाजी पुरम,
रिफाइनरी नगर, मथुरा-उ0प्र0
मूल्य- 25 रुपए
संस्करण- प्रथम, 2001